उम्मीद
एक ख़्वाब टूटा है ..दुजा ख़्वाब तुम फिर कोई सजाना
इम्तिहान की इस घड़ी में हिम्मत कहीं तुम हार मत जाना
बिजलियाँ गिरा दी जो उसने आशियाने पर ...आशियाना ही टूटा है
दिल में ज़िद ज़िंदा रखना ....आशियाना तुम फिर वही बनाना
बीच भँवर में किसी दिन कश्ती यूँ फँस जाये..की पतवार भी हाथ में टूटी हो
होंसलों को बना के पतवार तू कश्ती को किनारे तक ले जाना
अंधेरे बन दीवार खड़े हो ..रास्ते में पत्थर ही पत्थर पड़े हो
अंतरमन की रोशनी से कर उजाला ...पत्थरों को काट रास्ता तू बनाते जाना
Dr.sanjay yadav