Friday 16 June 2017

उम्मीद

                                उम्मीद


सूरज भी जब रोशनी का मोहताज होने लगे
चाँद भी सितारों की आड़ में जा खोने लगे
जुगनू भी जलते जलते जब बुझने लगे
ख़्वाब आ पलकों तक जब दम तोड़ने लगे
तुम जलती  रहना ....तुम जलती रहना
उम्मीदों का ले दीपक हाथ में तुम चलती रहना

साँसों की डोर जब टूटने के कगार पे हो
चौपाल की चर्चा जीत पे नहीं तुम्हारी हार पे हो
ज़माने की नज़र जब मौक़ापरस्ती वार पे हो
कश्ती को बचाने की सारी ज़िम्मेदारी जब पतवार पे हो
तुम लड़ती रहना ...तुम लड़ती रहना
उम्मीदों का ले दीपक हाथ में तुम चलती रहना

तारीफ़ के चर्चे नहीं ...कानो में रोज़ ज़माने के ताने हो
चलने के नहीं ....रुकने के दिल में नित रोज़ नए बहाने हो
नज़रों के सामने बस मंज़िल की मुश्किल के ही पैमाने हो
भटकाने को पथ से राहों में सजे मयखाने हो
तुम सम्हलती रहना ...तुम सम्हलती  रहना
उम्मीदों का ले दीपक हाथ में तुम चलती रहना

Dr.sanjay yadav


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